कोरोना का कहर मध्यमवर्गीय परिवार पर



रश्मि राजपूत


(स्वंतत्र लेखिका व कवयित्री, भागलपुर बिहार)


 


किससे करे गुहार, तेरा दर्द न जाने कोय...
जिन्दगी की यही रीत है हार कर भी जीत है।  इस कोरोना में सबसे ज्यादा मानसिक रूप से प्रभाव पड़ा तो मध्यमवर्गीय परिवार पर।  कुछ इस जंग से जीत गए तो कुछ हार गए ।   कितनों की नौकरी गयी तो कितनों के सैलरी कटे अपने तरह से हर कोई आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। 
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा किये गए लॉकडाउन ने मध्यम वर्गीय परिवार को बुरी तरह आहत किया है। इसके दो प्रमुख कारण है। चूंकि अमूमन अमीर वर्ग को किसी की सहायता की जरूरत नही पड़ती और गरीब के लिए नेता समाजसेवी और सरकारी सहायता देने वाले पदाधिकारी मिल ही जाते हैं। इस सबके विपरीत एक सामाजिक विडंबना यह है कि मध्यम वर्गीय परिवार अपना दर्द किसी को दिखा नही सकता। जग हंसाई के कारण वह राहत हासिल करने वालों की कतार में खड़ा भी नही हो सकता। समाज व सरकार दोनों की नजर में मध्यमवर्गीय परिवार गरीब की अहर्ता नहीं रखते। कुछ विसंगतियों के कारण प्रदेश के अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों के राशन कार्ड का आवेदन जिला मुख्यालय के कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं। फलस्वरूप इन परिवारों को सस्ते दर पर अथवा मुफ्त सरकारी अनाज भी नसीब नही हो पा रहा है।  मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले कई लोगों ने अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए बताया कि हमारा दर्द सुनने जानने का कोई प्रयास नही करता। कहने पर कोई विश्वास भी नही करता।  येन केन प्रकारेण किसी तरह अपने परिवार का पेट भरने के लिए राशन के साथ साथ ईंधन।जलावन व पशुचारा का जुगाड़ करना अब दूभर हो रहा है। कई लोग तो जग हंसाई के चलते अपना जेवर आदि तक गिरवी रख परिवार की भूख मिटाने व बीमार परिजनों का इलाज कराने को विवश हैं। सरकार द्वारा लॉक क्या इनके लिए कोई योजना है धरातल पर ये सोचनिय है ? इनके लिए कैसा दौर है आखिर इनकी जरूरतें कैसे पूरा होगा ये किसी ने सोचा क्या ये मान लें इनके लिए बगावत का दौर है! आधे से कुछ ज्यादा पूरे से कुछ कम यूँ हीं जिंदगी कट रही इनकी।  सामाजिक प्रतिष्ठा भी बचानी है हालात को भी सुधारना है।  इस कशमकश की स्थिति को सुधारने में क्या राजनीतिक दल सोचेंगे इनके विषय में ये देखना क्या कोई योजनाओं का लाभ मध्यमवर्गीय परिवार को भी समस्या से निजात दिलाएगा।  ये वर्ग स्वाभिमानी वर्ग है और भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और तार्किक आधारभूत संरचना है। इसको मदद करने से देश और समाज का बड़ा वर्ग लाभान्वित होगा। मध्यम परिवार का नाखुश होना देश की आत्मीय और सांस्कृतिक खुशी के लिए नुकसानदेह है। सरकार से यही अपेक्षा है कि  जो मध्यम परिवार पीड़ित है उनके लिए फंड जारी किया जाए और सरकार की योजनाओं में इनको लाभार्थी बनाएं।


 


 


 



 


 


 


 


 


 


अतुल्य भारत चेतना के इस पहल से साहित्य, कला, एवं अभिनय के क्षेत्र में रुचि रखने वालों में खुशी की लहर...


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