बदलते हैं मौसम बदलेंगे ये पल, बस हिम्मत रखने का दौर है...

इस हरफनमौला जिंदगी के ठहराव का दौर है


आप मानो न मानो बगावत का दौर है


मुश्किलों का नकाब हर मंजर पर चढ़ा

आप मानो न मानो हौसला बुलंद करने का दौर है

 

रूत व रीत हर पल बदल रही है

यूँहीं नहीं लबों पर इंसानियत का जिक्र हो रहा

 

बदलते हैं मौसम बदलेंगे ये पल 

बस हिम्मत रखने का दौर है

 

मदमस्त जीना है तो रीत ये जिंदगी बदलनी है

इंसान हैं इंसानियत का पैगाम फैलाना है

 

खामोशी का भंवर जाल भी छंटेगा 

बस अल्फाज बिखेरने की देरी है! 

 


रश्मि राजपूत

(स्वंतत्र लेखिका व कवयित्री, भागलपुर बिहार)

 

 

 

 

 

 

 




 

 

 

 

 

 

 


अतुल्य भारत चेतना के इस पहल से साहित्य, कला, एवं अभिनय के क्षेत्र में रुचि रखने वालों में खुशी की लहर...


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